मधेपुरा। प्रशासन द्वारा हटा दिए जाने के बावजूद हाट लगाने से बाज नहीं आ रहे फुटकर व्यापारी, प्रशासन कर रहा रात-दिन सावधानियां बरतने की अपील
🔼दूसरी लहर में कई मौतों के बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं बरती जा रही सतर्कता।
उदाकिशुनगंज (मधेपुरा)।
एक तरफ सरकार जहां कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ने से परेशान है वहीं तीसरी लहर आने से पहले बिहार में सम्पूर्ण लाँकडाउन लगा दिया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में सब्जी वाले हो अथवा फूटपाथ या हाट-बाजार में मांस-मछली बेचने वाले व्यापरी। लगता है ये सब बिहार में लगे सम्पूर्ण लाँकडाउन से अनभिज्ञ है। इन सभी ने कोरोना संक्रमण के प्रशासन द्वारा किए जा रहे सख्ती को मजाक बनाकर रख दिया है। ये वाक्या खाड़ा पंचायत में लग रहे साप्ताहिक हाट की है।बताते चलें कि खाड़ा बाजार में सप्ताह में दो दिन गुरूवार और रविवार को लगने वाली हाट को दूसरी लहर से पहले पंचायत के वर्तमान मुखिया ध्रुव कुमार ठाकुर द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग के साथ राजकीय बुनियादी विद्यालय में लगाने हेतू निर्देशित किया था। ततपश्चात अनुमंडल पदाधिकारी द्वारा पंचायत में हाट को शोशल डिस्टेंसिंग के साथ लगाने हेतु पर्याप्त जगह के निरिक्षणोपरांत हाट को शास्त्री स्मारक उच्च विद्यालय खाड़ा के मैदान में स्थानान्तरित कर लगाने को निर्देशित किया था। उसके बाद सम्पूर्ण लाँकडाउन में हाट लगना बंद करवाया गया। इसके बावजूद सब्जीवाले, मछलीवाले आदि छोटे व्यापारी रविवार को 9 मई को 2 बजे दिन में शास्त्री स्मारक उच्च विद्यालय खाड़ा के मैदान में बिना मास्क व शोशल डिस्टेंसिंग के हाट को व्यापारियों द्वारा लगाया गया। इसकी भनक जैसे ही उदाकिशुनगंज थाना अन्तर्गत बुधामा ओपी के प्रभारी कामेश्वर पाण्येय को मिली सदल-बल के साथ हाट पहुंचकर व्यापारियों को इसे फौरन हटाने को लेकर एक्शन में दिखे और हड़काते हुए इसे तुरत समेटने को कहा। जिला प्रशासन,अनुमंडल प्रशासन, प्रखंड पदाधिकारी और थानाध्यक्ष के दविस के बाद भी लोग मजाक बना दिया है। हाट तो उस समय हटा लिया गया। पर एक घंटे के बाद बुधामा ओपी पुलिस के वहां से दूसरी ओर गस्त में चले जाने के बाद व्यापारियों ने पुन: शा.स.उ.वि.खाड़ा से सटे सड़क पर दुकान लगा अपना धंधा शुरु कर दिया। जबकि आपको विदित हो कि इस क्षेत्र में जहां कुछ लोग कोरोना संक्रमण के कारण काल की चपेट में चले गए वहीं खाड़ा सहित इस क्षेत्र के कुछ लोग होम कोरेनटाइन में घर पर है । सुत्रों से मिली जानकारी से खाड़ा बाजार के एक कोरोना पाँजिटिव मरीज कपड़े की दूकान पर धरल्ले बिना मास्क के कपड़ा बेचते नजर आते रहते हैं। मिली जानकारी से वह पाँजिटिव मरीज अपने को फिट कहता है। इन सारी बेवकूफियों और गैर जिम्मेदाराना हरकत की वजह से गावों में कोरोना ने पैर पसारना शुरु कर दिया है।
🔼झोलाछाप ग्रामीण चिकित्सकों की हो रही पौबारह--
अभी के मौसम की बात करें तो लगभग हर घर में सर्दी-खांसी-बुखार से लोग परेशान है।
जहां घर-घर में लोग बीमार हैं वहीं न तो लोग जांच करा रहे हैं और न ही कोरोना की भयावहता से सतर्क हो रहें है। गांवों में कोरोना का मखौल बनाकर बिना मास्क,बेवजह सड़कों पर घूमने से बाज नहीं आ रहे हैं। जबकि समाचार में हरपल- हरओर से मौत की खबर सामने आ रही है। गांवों में सर्दी-खांसी-जुकाम-बुखार से पीड़ित लोगों की जांच यदि संभव हो जाए तो कुछ न कुछ लक्षण इससे मिलते नजर आऐंगे। मगर न तो पीड़ित जांच की जहमत उठा रहे हैं और न ही उनके द्वारा सतर्कता बरती जा रही है।
जहां प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र गांव से लगभग 30 कि.मी दूर होने की वजह से झोलाछाप डाक्टर की रोगियों के इलाज से पौबारह हो रहा है। वहीं आए दिन गांव में चोरी-छिपे बिना ड्रग लाइसेंस की दूकान चलाने वाले दर्जनों झोलाछाप आरएमपी की डिग्रियों के साथ-साथ अपने को एमबीबीएस कहलाने से बाज नहीं आ रहे और गरीबों से दूगूनी पैसे वसूलने में लगे हुए हैं। इस वाक्या का गवाह एक शोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट हैं। वायरल पोस्ट कुमार अमित राज का है। अमित ने अपने पोस्ट में लिखा है कि दवाई लेने के लिए जाते हैं तो डाक्टर इन्कार कर जाते हैं कि यह दवा मेरे पास नहीं है। इस पोस्ट में लिखा गया है कि यहां 5-7 डाक्टर है जिसके पास लाइसेंस उपलब्ध नहीं है। अन्त में लिखा है कि जिसको और जहां कहना है शिकायत कर दीजिए हमको जो दवाई 75 रु. का आता था अब 150 का आ रहा है।
🔼सरकारी अस्पताल गांव से दूर होने से मुसीबत--
क्षेत्रीय लोगों की माने तो गांव में "ग्रामीण डॉक्टरों" यानि "झोलाछाप डाँक्टर" से मजबूरी ही अपना इलाज करवाना पड़ता हैं। क्योंकि विडंबना यह है कि खाड़ा में अस्पताल कागजों पर तो है पर यहां आजतक लगभग तीन-चार दशकों से चिकित्सक को पदस्थापित देख नहीं पाए हैं। इस कारण उदाकिशुनगंज प्रखंड के सुदुर्वर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में झोलाझाप डाँक्टरों की फौज के द्वारा लूट-खसोट की जाती है। जिसमें एक तो कोरोना सबको लीलने पर आमदा है वहीं जीवन रक्षक दवा की कीमत दाम से दूगुनी बसूले जाने से भी गरीब आर्थिक दोहन के शिकार हो रहें हैं।
🔼ग्रामीण चिकित्सक की सुने तो--
अपना नाम नहीं छापने के शर्त पर कहा कि हमलोग गांव में दिन-रात ग्रामीणों की फस्ट एड करते रहते हैं और ज्यादे परेशानी होने पर अस्पताल या चिकित्सक के पास जाने को कहते हैं। हमलोग यदि गांव में काम करना बंद करदें तो ऐसी स्थिति में गांव के लोग क्या करेंगे ये विचारनीय प्रश्न है। जहां तक दवाई ज्यादे कीमत पर देने की बात आती है, हमलोग ऐसा कभी नहीं करते।
🔼कोरोना काल में वरतें सावधानी--

कोरोना संक्रमण फैलने से रोकने के लिए सरकार एवं प्रशासन द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन हर हाल में करना आवश्यक है। जिसमें सभी लोगों को घर से बाहर निकलते वक्त मास्क लगाना, भीड़-भाड़ से बचना, 2 गज दूरी बनाकर रहना, सामाजिक दूरी इत्यादि नियमों का पालन हर हाल में करते रहना जरुरी है। इसके साथ-साथ प्रशासन का सहयोग जरुर करेें।
रिपोर्ट : पुष्पम कुमार। उदाकिशुनगंज।
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प्रधान संपादक
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