रेशम की डोरी की तरह दुनिया को एक सूत्र में बांधता है प्रेम : डॉ. बीरबल झा

🔴 "रेशम की डोर से बंधा ये संसार" विषय पर आयोजित की गई परिचर्चा।

🔴 बोरिंग रोड पटना स्थित "ब्रिटिश लिंग्वा" सेंटर में आयोजित की गई कार्यक्रम।

रिपोर्ट: दैनिक आजतक / पटना। 

"रक्षाबंधन का पर्व" रेशम की धागा से बांधकर रखने वाला मानव से मानव का प्रेम तथा मानव से अन्य जीव-जंतुओं को "अहिंसात्मक" जीवन आपस में जीने को सिखाता है। यह एक ऐसा पर्व है जो मनुष्यों को आपसी सद्भाव,जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों,कीट-पतंगों सहित ईश्वर द्वारा प्रदत्त हर जीवों पर दया करने के साथ-साथ इनसे जुड़े पवित्र रिश्ते को प्रेम से निभाने को दर्शाता है। इसलिए आज पर्यावरण संरक्षण और संतुलन हेतु मानव को हर वृक्षों और जीवों को इस डोर से बांधकर तथा इससे प्रेम जताने पर बल देना आवश्यक है। 

19 अगस्त 2024 दिन सोमवार को रक्षाबंधन के दिन पटना के बोरिंग रोड स्थित "ब्रिटिश लिंग्वा" सेंटर में एक परिचर्चा आयोजित की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. बीरबल झा ने की। परिचर्चा में भाषाविद्,सामाजिक उद्यमी और लेखक डॉ. बीरबल झा ने अपने विचारों को रखे।

“प्रेम एक ऐसी भावना और एहसास है,जिससे सृजन होता है,जबकि युद्ध और द्वेष से विनाश। “उपरोक्त विचार प्रख्यात भाषाविद् डॉ. बीरबल झा ने स्पोकन इंग्लिश के क्षेत्र में देश के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान ब्रिटिश लिंग्वा द्वारा आयोजित ए बॉन्ड ऑफ लव थ्रू अ सिल्की थ्रेड" यानी "रेशम की डोर से बंधा ये संसार" विषय पर आयोजित परिचर्चा में सभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किया। 

डॉ. झा ब्रिटिश लिंग्वा के संस्थापक एवं निदेशक हैं। यह समसामयिक परिचर्चा ब्रिटिश लिंग्वा के पटना स्थित बोरिंग रोड सेंटर पर आयोजित की गई थी। गौरतलब है कि ब्रिटिश लिंग्वा "सभी के लिए अंग्रेजी" के नारे के साथ अंग्रेजी संचार कौशल सिखाने के लिए समर्पित एक प्रमुख संस्थान है।

तीन लाख से भी अधिक युवाओं,जिनमें से लगभग 30,000 सबसे गरीब समुदायों से थे,को अंग्रेजी सिखाने वाले डॉक्टर झा ने आगे कहा,“ रेशम की डोर से बंधे इस संसार में प्रेम अदृश्य होता है, जैसे रेशम की डोरी पतली होते हुए भी चीजों को मजबूती से बांधे रखती है। उसी तरह, प्रेम दुनिया को एक सूत्र में बांधकर रखता है।“

"ए बॉन्ड ऑफ लव थ्रू अ सिल्की थ्रेड" यानी "रेशम की डोर से बंधा यह संसार" विषय पर आयोजित इस परिचर्चा में अपने विचार व्यक्त करते हुए ब्रिटिश लिंग्वा के प्रबंध निदेशक डॉ. बीरबल झा ने प्रेम के नैशार्गिक गुण के बारे में बोलते हुए कहा, प्रेम बांटने से ही मिलता है, न कि घृणा से। इसलिए हमें एक-दूसरे के लिए दया, सहानुभूति और सहिष्णुता रखनी चाहिए ताकि समाज एक सूत्र में बंधा रह सके ।“ हमें दूध में चीनी की तरह घुल जाना चाहिए, ताकि दूध में मिठास आए, न कि नींबू की तरह व्यवहार करना चाहिए। सर्वविदित है कि दूध में नींबू का रस मिलते ही दूध फट जाता है और पीने योग्य नहीं रहता। 

"सेव द पाग अभियान" के माध्यम से लगभग 4 करोड़ मैथिलीभाषी लोगों को जोड़ने वाले श्री झा ने आगे कहा कि इतिहास गवाह है कि लोगों ने प्रेम से ही दुनिया को जीता है।

"सेलिब्रेट योर लाइफ" के लेखक डॉ. बीरबल झा ने प्रेम की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए आगे कहा कि प्रेम से घृणा को दूर किया जा सकता है, जबकि घृणा से प्रेम प्राप्त नहीं हो सकता। जब आप प्रेम में होते हैं, तो सामने वाले की कोई भी कमी या गलती नजर नहीं आती, जो कि गलत है। 

अंतर्राष्ट्रीय मैथिली परिषद द्वारा "मिथिला विभूति" की उपाधि से सम्मानित डॉ. झा ने कहा कि प्रेम से हम उनकी गलतियों को सुधार सकते हैं और प्रेम के सच्चे प्रतीक बन सकते हैं।

शैक्षणिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में अपने कार्यों से पूरे देश को गौरवान्वित करने वाले डॉ. झा ने कहा कि जैसे सूई में धागा डालते समय सतर्कता बरती जाती है, वैसे ही संबंधों को निभाते समय भी एक-दूसरे की भावनाओं का ध्यान रखना चाहिए ताकि दो दिल जुड़े रहें। मिथिला के यंगेस्ट लिविंग लेजेंड उपाधि प्राप्त डॉ. बीरबल झा ने आगे कहा कि रक्षाबंधन भाई और बहन के बीच के रिश्ते में समर्पण और सहयोग की भावना को दर्शाता है। 

अंग्रेजी भाषा में अप्रतिम योगदान के लिए न्यूयॉर्क टाइम्स जैसी प्रतिष्ठित अखबार में जगह पाने वाले (द वर्ल्ड: इन इंडिया: ए न्यू हेडे फॉर इंग्लिश द लैंग्वेज के नाम से लेख प्रकाशित), 30 से भी अधिक पुस्तकों के लेखक डॉ. बीरबल झा ने इस त्यौहार को वैश्विक स्तर पर मनाने की पुरजोर वकालत की। उन्होंने कहा,“इस त्योहार को समाज में और बढ़ावा देने की आवश्यकता है ताकि समाज के हर पहलू को मजबूत किया जा सके और मानव जीवन को साकार किया जा सके। आवश्यकता है कि इसे वैश्विक स्तर पर मनाया जाए।

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