मधेपुरा। खाड़ा पंचायत में " स्ट्रा रीपर" मशीन कृषक राजेश रंजन द्वारा लाए जाने से किसानों में छाई खुशी

 उदाकिशुनगंज (मधेपुरा)।

खेतों और किसानों की परेशानी का सबब बनने वाली पराली ही अब किसानों की किस्मत चमकायेगी। इसकी शुरुआत उदाकिशुनगंज प्रखंड के खाड़ा पंचायत में पराली से मशीन द्वारा भूषा बनाकर इससे खेत में डालकर खाद बनाने अथवा पशुओं का चारा तैयार करने हेतु व्यक्तिगत लाया गया है। जागरूक किसान राजेश रंजन उर्फ सोना सिंह ने खुद की पहल पर मशीन खरीदकर पंचायत और आसपास के क्षेत्रों को लाभान्वित करने को तैयार हैं। श्री सिंह ने बताया कि हम इस स्ट्रा रीपर मशीन को कृषक के लिए भाड़े पर देकर पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ पशुओं के खाना तैयार करने और खेतों में खाद बनाने हेतु सहयोग कर पर्यावरण मित्र बनकर कृषि कार्य हेतु जागरुकता फैलाने में कामयाब होंगे। इसे गेहूं की फसल कटने के समय में उपयोग किया जाएगा।



इस अवसर पर खाड़ा पंचायत में पदस्थापित कृषि कोर्डिनेटर अर्पना कुमारी एवं खाड़ा पंचायत में पदस्थापित किसान सलाहकार अनिल कुमार पाठक ने संयुक्त रुप से कहा कि खेतों में पसरी पराली अब कृषक को अच्छे फायदे देगी। उन्होंने कहा कि राजेश रंजन उर्फ सोना सिंह कृषि कार्य हेतु एक स्ट्राँ रीपर मशीन कटिहार (बिहार) से मंगायी है, जो खेतों में बचे अवशेष यानी पराली का कुट्टी / भूषा तैयार करेगी जिसका कृषक खेतों में खाद के रुप में अन्यथा पशुचारा के रुप में उपयोग करेंगे।

किसान सियाराम प्रसाद सिंह कहते हैं कि जिस खेत में जितना वजन का धान/गेहूं होता है लगभग उतना ही वजन का उसका पुआल / भूषा भी होता है। अब इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि एक बीघा में कितना धान/गेहूं होता है और कितनी कीमत का उसका पुआल/कुट्टी/भूषा होगा अन्यथा जिसका कृषक खेतों में खाद के रुप में उपयोग कर पाऐंगे।

खाड़ा पंचायत कृषि काँर्डिनेटर अर्पना कुमारी ने कहा कि यह तकनीक किसानों को खेतों में पुआल/फसलों के डंठल जलाने से रोकेगी। जिससे न सिर्फ वातावरण बेहतर होगा, बल्कि खेत की मिट्टी की उर्वरा शक्ति को भी नष्ट होने से बचाया जा सकेगा। इसको प्राथमिकता देते हुए कृषक इसे उपयोग करें।

किसान सलाहकार अनिल कुमार पाठक कहते हैं कि एक बीघा में धान लगे खेत से लगभग नौ से 12 क्विंटल पराली निकलता है। गेहूं, चना,मक्का आदि फसल का बीज डालने के लिए पराली को खेत से निकालना आवश्यक हो जाता है। मजदूर के द्वारा पराली को जमा कराना काफी खर्चीला होता है इसलिए कृषक अब इस मशीन का उपयोग करते हैं जिससे समय वचत के साथ-साथ पैसे की भी बचत होती है।



अतः कम समय में अधिक-से-अधिक जरूरत पड़ने पर पशु चारा/खाद के रुप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
महिन्द्रा कंपनी से खरीदी गयी लगभग तीन लाख पचपन हजार की स्ट्रा रीपर मशीन कृषक के लिए लाभकारी सिद्ध होगा।

खेती से ही अपनी जीविका चलाने वाले किसान शिवदत्त झा का कहना है कि खेती हमारा व्यावसायिक कार्य है। यदि गांव में इस तरह का कृषि उपकरण का उपयोग होता है तो वास्तव में कृषि क्षेत्र में विकास कहा जा सकेगा। उन्होने कहा कि अब जो नयी तकनीकी आ रही है, वह हम किसानों की मुश्किलों का बहुत भला कर रही है।



उन्होंने बताया कि "पैडी राउंड ब्लेयर" भी बहुत जगह आ गयी है हमारे क्षेत्र में भी राजेश सिंह जी उपलब्ध कराए तो इससे कृषक को कृषि क्षेत्र में और भी सहयोग मिलेगा।

इस मशीन को देखते हुए श्रीनंदन झा, गंगाधर झा, बिनोद झा, सुभाष झा,राजीव झा सहित दर्जनों किसानों ने इसके खरीद के लिए कृषक सोना सिंह के कार्य को सराहा।

रिपोर्ट : पुष्पम कुमार । उदाकिशुनगंज।

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