मां विंध्यवासिनी देवी मंदिर निर्माण का एसडीएम एसजेड हसन ने कराया रास्ता साफ,, मंदिर चहारदीवारी निर्माण कार्य शुरू

🔴 अनुमंडल पदाधिकारी के हस्तक्षेप के बाद हुआ रास्ता साफ।

🔴 एसजेड हसन ने विवादित स्थल पर पहुंचकर कराया मामला शांत।

🔴 ग्रामीणों ने बैठक कर बनाया मां विंध्यवासिनी मंदिर निर्माण संघर्ष समिति।

🔴 मंदिर में चहारदीवारी निर्माण कार्य रविवार से शांतिपूर्ण तरीके से किया गया शुरु।

रिपोर्ट : दैनिक आजतक डेस्क ।

उदाकिशुनगंज प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत खाड़ा पंचायत स्थित मां विंध्यवासिनी मंदिर के जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराने को लेकर ग्रामीण युवाओं और जनप्रतिनिधियों समेत वयोवृद्ध तक संयुक्त रूप से दो सप्ताह से ज्यादे समय से पुनः संघर्ष कर रहे हैं। मां विंध्यवासिनी देवी मंदिर के चहारदीवारी निर्माण कार्य के लिए आखिरकार अनुमंडलाधिकारी ने स्थल पर आकर बनाया दोनों पक्षों का सहमति। इससे ग्रामीण सहित भक्तजनों में काफी हर्ष व्याप्त है।

🔴 मामला क्या है ?

बताते चलें कि मां विंध्यवासिनी स्थान के जमीन का खाता नंबर -1002 खेसरा नंबर-1452 की 5 डीसमल अतिक्रमित जमीन को उच्च न्यायालय पटना द्वारा 2005 में जिलाधिकारी ने अतिक्रमण मुक्त कराया था। इसके बाद गांव के ही स्व.नरेश कुंवर ने डेढ़ डीसमल जमीन खाता संख्या 638,खेसरा संख्या-1449 में विंध्यवासिनी के नाम 2013 में दानकर सेवायत नटबर कुमार झा के नाम निबंधित कर दिया था। ग्रामीणों की माने तो धीरे-धीरे कमोबेश सभी जमीन पर अतिक्रमण कर लिया गया था।

इसी अतिक्रमित जमीन को खाली कराने को लेकर सैंकड़ों ग्रामीण और जनप्रतिनिधियों ने मिलकर हस्ताक्षर कर मधेपुरा के जिलाधिकारी विजय प्रकाश मीणा व अन्य पदाधिकारी को आवेदन देकर अतिक्रमित जमीन को खाली कराए जाने को लेकर कारवाई की लिखित मांग की थी।

इसी बीच ग्रामीणों के शिकायत पर अंचलाधिकारी हरिनाथ राम ने 2 जून को बुधामा ओपी प्रभारी जिउत राम को फोन पर सूचना देकर कारवाई करने का निर्देश दिया था। बुधामा ओपी प्रभारी जिउत राम ने मौके पर पहुंचकर पक्की घर के निर्माण कार्य पर रोक लगा दिया था।

ठीक एक दिन बाद यानी 3 जून को अंचलाधिकारी द्वारा स्थल पर जमीन मापी करने के लिए अंचल अमीन को भेजा गया और अमीन ने जमीन मापी कर साल-खूटा भी गरवा दिया था।

इतने होने के बावजूद अतिक्रमणकारी अपने जिद्द पर अड़े रहे। इसी अड़ियल रवैया के कारण अंचलाधिकारी हरीनाथ राम एवं प्रखंड विकास पदाधिकारी ने अंचल अमीन के साथ गुरुवार 13 जून को अतिक्रमित जगह पर आकर दोनों पक्षों को एक साथ बैठाकर आपसी सहमति बनाना चाहा। पर यह भी प्रयास तीन-चार घंटे के माथा-पच्ची के साथ विफल रहा।

इसके बाद ग्रामीणों का ग़ुस्सा भड़क गया। जिसमें पदाधिकारी को शुक्रवार को रोड जाम करने की सूचना दिए जाने पर सहमति बनी। लिखित सूचना अनुमंडल पदाधिकारी एवं अन्य को दी गई। आवेदन में 15 जून को सड़क जाम की तिथि मुक्करर की गई। सड़क जाम करने से पहले पदाधिकारियों को आवेदन दिए जाने के पश्चात ग्रामीण युवाओं ने रैली निकालकर पंचायत भ्रमण किया। 

🔴 रात करीब साढ़े आठ बजे खाड़ा पहुंचे थानाध्यक्ष;

इधर शुक्रवार के दिन अनुमंडल पदाधिकारी द्वारा उदाकिशुनगंज थानाध्यक्ष बिनोद कुमार सिंह को रात के करीब साढ़े 8 बजे  भेजकर मामले से संबंधित जानकारी ली गई। उन्होंने अनुमंडल पदाधिकारी के आदेश को दोनों पक्षों को बताया । 

🔴 अनुमंडलाधिकारी ने भेजा दोनो पक्षों को मामले से संबंधित नोटिस;

इधर अनुमंडल कार्यालय से दोनो पक्षों को नोटिस भेजा। नोटिस में 15 जून को अनुमंडल कार्यालय आकर अपनी-अपनी बातों को दोनों पक्षों को रखने को कहा गया। इधर रात में ही फिर ग्रामीणों के बैठक में उदाकिशुनगंज जाने पर सहमति बनी। 

🔴 दोनों पक्ष पहुंचे अनुमंडल;

दोनों पक्षों को अनुमंडल पदाधिकारी एसजेड हसन ने शनिवार को बुलाकर स्थिति की जानकारी ली और दो घंटे के वार्तालाप के बाद दोनों पक्षों में आपसी सहमति बनाया गया। शनिवार 15 जून को करीब दो बजे दिन में अनुमंडल पदाधिकारी ने अंचलाधिकारी और अंचल अमीन के साथ विवादित मंदिर के स्थल पर आकर फीता से माप कराते हुए,खूंटा गरवाकर इस चिर प्रतिक्षित अतिक्रमण को खत्म करवाते हुए मंदिर निर्माण कार्य का आदेश दिए जिसे दोनों पक्षों ने माना। अनुमंडल पदाधिकारी व अंचलाधिकारी के इस आखिरी प्रयास ने रंग लाया और विवाद खत्म हुआ और 16 जून 2024 दिन रविवार को खाड़ा चौक स्थित मंदिर का चहारदीवारी निर्माण कार्य चंदा एकत्रित कर प्रारंभ कर दिया गया।

🔴 बनाया गया मंदिर निर्माण संघर्ष समिति;

ग्रामीणों ने अनुमंडल पदाधिकारी द्वारा दिए गए मंदिर निर्माण कार्य के आदेश के उपरांत शनिवार की शाम बैठक कर मां विंध्यवासिनी मंदिर निर्माण संघर्ष समिति बनाया। इस समिति में सर्वसम्मति से 31 सदस्य रखने पर विचार हुआ और इसे पारित भी किया गया। समिति के अध्यक्ष के रूप में जितेन्द्र पंडित,कोषाध्यक्ष शिवकुमार महतो एवं अन्य 29 शेष सदस्यों का भी चयन सभी वर्गों से किया गया।

विन्ध्वासिनी मंदिर के इस शांतिपूर्ण समझौता करवाए जाने में अनुमंडल पदाधिकारी एसजेड हसन,अंचलाधिकारी हरीनाथ राम,प्रखंड विकास पदाधिकारी गुलज़ारी लाल पंडित,थानाध्यक्ष बिनोद कुमार,बुधामा पुलिस कैंप प्रभारी जिउत राम साथ ही आलमनगर विधानसभा के विधायक सह बिहार विधानसभा के उपाध्यक्ष नरेन्द्र नारायण यादव एवं सरपंच संघ के अध्यक्ष मनोज कुमार सिंह,भाजपा नेता गणगण चौधरी,भाजपा नेता सह अधिवक्ता सुबोध कुमार सिंह,विश्व हिन्दू परिषद के प्रखंड अध्यक्ष रंजित कुमार मिश्रा सहित अन्य नेताओं का अहम योगदान रहा।

अनुमंडलाधिकारी द्वारा समाप्त किए गए विवाद के समय विवादित स्थल पर मुखिया ध्रुव कुमार ठाकुर,सरपंच मुन्नी देवी, भूतपूर्व मुखिया दिगंबर झा,पूर्व पंचायत समिति सदस्य जितेंद्र पंडित,पूर्व सरपंच प्रतिनिधि विनोद मंडल,मंजय प्रसाद सिंह, चंदन कुमार झा,अंचल अमीन गजेन्द्र कुमार,राजेश रंजन उर्फ सोना सिंह,पत्रकार संजीव कुमार कश्यप,सुमन कुमार सिंह,गुड्डू कुमार ठाकुर,सनोज मंडल,शिव कुमार महतो,वार्ड सदस्य राजकिशोर राम,सहदेव ऋषिदेव,शंभू पासवान उर्फ फेकू पासवान,बंटी पासवान,श्यामल किशोर सिंह, दिनेश कुमार झा,पंकज कुमार सिंह, उमाकांत सिंह, कमलेश कुमार झा,रविन्द्र कुमार सिंह,बाबूल कुमार सिंह,नवल किशोर सिंह,इन्द्रदेव सिंह,प्रवीण कुमार,नटवर झा,रंजित कुमार ठाकुर,पियुष कुमार झा,बबलू कुमार झा,शंभू प्रसाद सिंह सिंह, नवनीत कुमार सिंह, अशोक प्रसाद सिंह, चंद्रशेखर मडल, सुबोध रजक,अशोक राम,कंपनी मुखिया,बिजय मंडल,सुरज मंडल,सनोज मंडल, प्रियांशु, अविनाश ,बादल,जय प्रकाश राम,श्रीनंदन यादव,किशोर यादव, अरविंद यादव,संजीव यादव,नरेश यादव, सुनील यादव,मिथुन कुमार झा,अमर सिंह, सहदेव ऋषिदेव,कैलाश ठाकुर,संजय सिंह,पिंटू सिंह, प्रदीप पासवान,दिलीप मेहता सहित सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित रहे।

सभी ने पदाधिकारीगण, नेतागण, स्थानीय जनप्रतिनिधियों को इस जटिल समस्या को हल कराए जाने पर धन्यवाद दिया है।

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