मधेपुरा। चौथी पूजा को होती है मां कूष्‍मांडा की पूजा, चारों ओर से प्रतिदिन बढ़ रही प्रसिद्ध दुर्गा मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़

खाड़ा बाजार ( उदाकिशुनगंज)।

उदाकिशुनगंज प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत खाड़ा पंचायत के खाड़ा बाजार में स्थित ऐतिहासिक खाड़ा दुर्गा मंदिर में कलश स्थापना के साथ ही शारदीय नवरात्र  परंपरागत तरीके से हर्षोल्लास के साथ शुरू हो गया । सोमवार को पूरे विधि विधान से मंदिरों में दर्जनों पंडितों द्वारा वैदिक मंत्रोचारण के साथ कलश की स्थापना की गई। नवरात्र के पहले दिन दुर्गा माता का पहला रूप मां शैलपुत्री,दसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन मां चंद्रघंटा,चतुर्थ दिन मां कूष्‍मांडा आदि की पूजा और अर्चना के साथ सुबह की शुरुआत होती है। 

पंडित मोहनानंद झा बताते  है कि चौथे दिन उपासक का मन अनाहत चक्र में उपस्थित रहता है। इसलिए इस दिन बेहद साफ और पवित्र मन से मां कूष्‍मांडा देवी के स्‍वरूप को ध्‍यान में रखकर पूजा और अराधना करनी चाहिए। इससे श्रद्धालुओं का मन शांत,पवित्र और जीवन सुखमय होता है। 

पूजा के दसों दिन इस प्रसिद्ध मंदिर में भक्तो की काफी भीड़ देखी जाती है। जहां  शारदीय नवरात्र आरंभ होने से लोगों में खुशी की माहौल है वहीं खारा दुर्गा की महिमा का भी गुणगान किया। 

बताते चलें कि खाड़ा के बाजार स्थित दुर्गा मंदिर में मां दुर्गा सहित विभिन्न देवी-देवताओं की लाखों की सफेद संगमरमर की प्रतिमा वर्ष 2019 में जयपुर से मंगवाकर स्थापित की गई है और मंदिर में पुजा हेतु पंडितों को भी स्थाई तौर पर नियुक्त कर दिया गया है। पुजा सतत व निरंतर होती रहती है। 

मालूम हो कि खाड़ा की यह सार्वजनिक दुर्गा मंदिर खाड़ा के प्रतिष्ठित जमींदार स्व. ह्रदय नारायण झा एवं पूर्व मुखिया स्व. शुभनारायण झा द्वारा वर्षों पूर्व स्थापित कर ग्रामीणों को हस्तगत करवाया था। लगभग सवा सौ (125) वर्ष पूर्व स्थापित यह मंदिर आज खाड़ा सहित इस क्षेत्र में प्रसिद्ध है। 

आज भी भू-दाता सह मंदिर के नीवदाता के    वंशज डा. निर्मल कुमार झा, राणा झा एवं अवधेश झा के घरों से ही पहला छागा की  बलि दुर्गा पूजा में नवमी के दिन मां को चढ़ाई जाती है। तत्पश्चात सैकड़ों भक्तजनों द्वारा छागा की बली और प्रसाद मां के सामने चढ़ाई जाती रही है। और समय-समय पर रामधुनी और मैया जागरण का भी आयोजन मां के दरबार में आयोजित की जाती रही है जिसकी चर्चाऐं होती रहती है।

पंडित श्री चंद्रकांत झा, पंडित उपेन्द्र झा,पंडित विद्यानंद झा,पंडित नवकांत झा, जवाहर मिश्रा, मुखिया ध्रुव कुमार ठाकुर, चंदन कुमार झा, संजीव कश्यप,पंडित विनोद झा,पंडित सुमन झा,राघवेंद्र झा,रघुनंदन मिश्र एवं श्रद्धालु गुड़िया कुमारी,पूनम देवी,लीला देवी, रेणु देवी,संगीता कुमारी,चंदा कुमारी,चुन्नी कुमारी, तारा देवी,शारदा देवी,अनीता देवी,मीरा देवी,किरण देवी,उर्मिला देवी शशिधर झा, विद्यकर झा, गोपाल ठाकुर,ललित नारायण ठाकुर, रामानंद झा, कमलेश झा, अजय झा, पंचानन झा, चंद्रानंद झा, ललित नारायण राम,प्रदीप पासवान,कैलाश पासवान,सज्जन अग्रवाल,कन्हैया केसरी,दिलीप झा,रंजित ठाकुर,राजीव झा,उग्रमोहन झा,सुशील अग्रवाल,नवल झा,अभिनंदन झा,मुंगेरी शर्मा,बुद्धन रजक,दीपक ठाकुर,पिंकु झा,लीलाधर झा,सजन ठाकुर, निरंजन अग्रवाल,बद्री केसरी,बिनोद अग्रवाल,विजेन्द्र शर्मा,चंदन साह,विभाकर झा सहित सैंकड़ों ग्रामीणों की मानें तो मां के यहां सिर्फ मत्था टेकने भर से ही भक्तों की मनोकामना पूर्ण हो जाती है। 

श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर मां के दरवार में आकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए मंदिर के विकास के कार्यों में भी सहयोग प्रदान करते देखे जाते हैं।

रिपोर्ट : गुड्डु कुमार ठाकुर।

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